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Andhere Ka Safar | Ramanath Awasthi
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Andhere Ka Safar | Ramanath Awasthi

00:02:08
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अँधेरे का सफ़र मेरे लिए है | रमानाथ अवस्थीतुम्हारी चाँंदनी का क्या करूँ मैंअँधेरे का सफ़र मेरे लिए है।किसी गुमनाम के दुख-सा अनजाना  है सफ़र मेरापहाड़ी शाम-सा तुमने मुझे वीरान में घेरातुम्हारी सेज को ही क्यों सजाऊँसमूचा ही शहर मेरे लिए हैथका बादल किसी सौदामिनी के साथ सोता है।मगर इनसान थकने पर बड़ा लाचार होता है।गगन की दामिनी का क्या करूँ मैंधरा की हर डगर मेरे लिए है।किसी चौरास्ते की रात-सा मैं सो नहीं पाताकिसी के चाहने पर भी किसी का हो नहीं पातामधुर है प्यार, लेकिन क्या करूँ मैंज़माने का ज़हर मेरे लिए हैनदी के साथ मैं पहुँचा किसी सागर किनारेगई ख़ुद डूब, मुझको छोड़ लहरों के सहारेनिमंत्रण दे रहीं लहरें करूँ क्याकहाँ कोई भँवर मेरे लिए है

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