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Ma | Uttima Keshari
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00:01:36
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माँ | उत्तिमा केशरीमाँ आसनी पर बैठकर जबएकाकी होकरबाँचती है रामायणतब उनके स्निग्धज्योतिर्मय नयनभीग उठते हैं बार-बार ।माँ जब ज्योत्सना भरी रात्रि मेंसुनाती है अपने पुरखों के बारे मेंतो उनकी विकंपित दृष्टिठहर जाती है कुछ पल के लिएमानो सुनाई पड़ रही होएक आर्तनाद !माँ जब सोती है धरती परसुजनी बिछाकर तबवह ढूँढ़ रही होती हैअपनी ही परछाईजिसे उसने छुपाकररखा है वर्षों से ।

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