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Dharti Ki Behnein | Anupam Singh
Dharti Ki Behnein | Anupam Singh

Dharti Ki Behnein | Anupam Singh

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धरती की बहनें | अनुपम सिंहमैं बालों में फूल खोंसधरती की बहन बनी फिरती हूँमैंने एक गेंद अपने छोटे भाईआसमान की तरफ़ उछाल दी है।हम तीनों की माँ नदी हैबाप का पता नहींमेरा पड़ोसी ग्रह बदल गया है।कोई और आया है किरायेदार बनकरअब से मेरी सारी डाक उसी के पते पर आएगीमैंने स्वर्ग से बुला लिया है अप्सराओं कोवे इन्द्र से छुटकारा पा ख़ुश हैं।आज रात हम सब सखियाँ साथ सोएँगीविष्णु की मोहिनी चाहेतो अपनी मदिरा लेकर इधर रुक सकती है…

Dharti Ki Behnein | Anupam Singh

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