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Haar | Prabhat
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00:01:46
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हार | प्रभातजब-जब भी मैं हारता हूँमुझे स्त्रियों की याद आती हैऔर ताक़त मिलती हैवे सदा हारी हुई परिस्थिति में हीकाम करती हैंउनमें एक धुन एक लयएक मुक्ति मुझे नज़र आती हैवे काम के बदले नाम सेगहराई तक मुक्त दिखलाई पड़ती हैंअसल में वे निचुड़ने की हद तकथक जाने के बाद भीइसी कारण से हँस पाती हैंकि वे हारी हुई हैंविजय सरीखी तुच्छ लालसाओं पर उन्हेंऐतिहासिक विजय हासिल है
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